हमारे आस-पास कई कितने ऐसे चेहरे मिल जाएंगे, जो सामान्य नहीं दिखते, मगर वे अब्नॉर्मल (असमान्य) होने के बजाय स्पेशल लाइफ (विशिष्ट जीवन) बिता रहे हैं। नजरिए के इसी फर्क को समाज के हर पहलू में पिरोने की कोशिश है डायरेक्टर गोविंद मिश्रा की फिल्म आई एम नॉट ब्लाइंड। ओटीटी प्लेटफार्म एमएक्स प्लेयर पर हाल में रिलीज यह फिल्म एक नेत्रहीन ग्रामीण युवा की कहानी है, जिसके दृष्टिकोण ने उसके पास दृष्टि की कमी को न जाने कितने पीछे छोड़ दिया। फिल्म दिखाती है कि आईएएस बनने की लगन हर चुनौती-तिरस्कार को बेदम करते हुए गांव का नेत्रहीन युवा कैसे विजयगाथा लिखता है।
सैंडल, स्लैप, पागल और से आईएमएन इंडियन जैसे नेशनल-इंटरनेशनल फिल्म फेस्ट में चुनी जा चुकी फिल्में निर्देशित कर चुके फिल्मकार गोविंद मिश्रा ने डायरेक्शन के साथ फिल्म की कहानी-डायलॉग और लिरिक्स भी लिखे हैं। गोविंद बॉलीवुड में बतौर डायलॉग राइटर साल 2014 में आई फिल्म लाइफ में ट्विस्ट से डेब्यू कर चुके हैं। आईएम नॉट ब्लाइंड में मुख्य किरदार विमल यानी आनंद कुमार के साथ उनकी पत्नी की भूमिका शिखा इत्कन का अभिनय सधा है। तकनीकी पहलू पर आएं तो फिल्म का प्लॉट उम्दा और ग्रामीण परिवेश का रूपांतरण बिल्कुल वास्तविक लगता है। मगर पटकथा में कसावट की कमी कई दृश्यों में साफ दिखती है। संगीत के मामले में फिल्म बेहतर रही है। नैना काहे उदास, कुछ तो बात है गाने फिल्म खत्म होने के बाद भी कुछ देर जेहन में रुकते हैं। दादा साहब फाल्के अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्ट में चुनी गई इस फिल्म के जरिए छत्तीसगढ़ के अनछुए ग्रामीण इलाके को भी सिनेमा के फलक पर आने का मौका मिला है।